THE 5-SECOND TRICK FOR BAGLAMUKHI SHABHAR MANTRA

The 5-Second Trick For baglamukhi shabhar mantra

The 5-Second Trick For baglamukhi shabhar mantra

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जिह्वाग्रमादाय करेण देवीम्, वामेन शत्रून् परि-पीडयन्तीम् ।

वज्रारि-रसना-पाश-मुद्गरं दधतीं करैः । महा-व्याघ्रासनां देवीं, सर्व-देव-नमस्कृताम् ।।३

भावार्थ:-जिन शिव-पार्वती ने कलियुग को देखकर जगत के हित के लिए शाबर मन्त्र समूह की रचना की, जिन मंत्रों के अक्षर बेमेल हैं, जिनका न कोई ठीक अर्थ होता है और न जप ही होता है, तथापि श्री शिवजी के प्रताप से जिनका प्रभाव प्रत्यक्ष है ।

लसत् – कनक- चम्पक-द्युतिमदिन्दु – बिम्बाननाम् ।।

व्याेँप्ताङ्गीं बगला-मुखीं त्रि-जगतां संस्तम्भिनीं चिन्तये

Advantages: The mantra includes a plea to Hanuman to carry again Sita, the consort of Lord Rama, from Lanka. As a result, chanting this mantra with devotion and sincerity is believed to help you within the fulfilment of needs as well as the resolution of problems.

ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो here नमस्कार।

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।

But it is absolutely the effectiveness from the Shabar Mantra that has captured a great number of devotees, not its simplicity. These mantras are considered for being stuffed with The nice power of many gods and goddesses.

• Eliminates all the sorrows and offers self-assurance, fearlessness and braveness.• Fills the minds and hearts from the devotees which has a constructive Vitality to move the achievements path• Removes the debts and improves prosperity at home• Panic of enemies is taken off as well as the devotee experiences an incredible diploma of convenience in your mind. The enemies will no extra manage to confront you.

अर्थात् सुवर्ण जैसी वर्णवाली, मणि-जटित सुवर्ण के सिंहासन पर विराजमान और पीले वस्त्र पहने हुई एवं ‘वसु-पद’ (अष्ट-पद/अष्टापद) सुवर्ण के मुकुट, कण्डल, हार, बाहु-बन्धादि भूषण पहने हुई एवं अपनी दाहिनी दो भुजाओं में नीचे वैरि-जिह्वा और ऊपर गदा लिए हुईं, ऐसे ही बाएँ दोनों हाथों में ऊपर पाश और नीचे वर धारण किए हुईं, चतुर्भुजा भवानी (भगवती) को प्रणाम करता हूँ।

गम्भीरां कम्बु-कण्ठीं कठिन-कुच-युगां चारु-बिम्बाधरोष्ठीं।।

श्रीसांख्यायन-तन्त्रोक्त भगवती बगला के विविध ध्यान

पाठीन-नेत्रां परिपूर्ण-गात्रां, पञ्चेन्द्रिय-स्तम्भन-चित्त-रूपां ।

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